Newsमानधाता छतरी विवाद मामला , 20 जनवरी को प्रदेश के विहिप कार्यकर्त्ता करेंगे बूंदी कूच
बूंदी :- मानधाता छतरी विवाद मामला , 20 जनवरी को प्रदेश के विहिप कार्यकर्त्ता करेंगे बूंदी कूच , प्रशासन जुटा बीच का रास्ता निकलने में - 15-01-2018
एंकर :- बूंदी मानधाता छतरी की पूजा होने के बाद भी विश्व हिन्दू परिषद् के पदाधिकारी अपनी 5 सूत्रीय मांगो को लेकर अड़े हुए है उन्होंने ने धर्म रक्षा दल का गठन किया है जिसमे प्रदेश के सभी विहिप नेताओं को जोड़ा है जो बूंदी में 20 जनवरी को कूच करने की तैयारी है। अगर फिर कार्यकर्त्ता पूजा करने के लिए आगे बड़े तो बूंदी में फिर तनाव उत्पन हो सकता है ऐसे में जिला प्रशासन इस मामले में बीच का रास्ता निकालने की तैयारी कर रहा है और 20 से पहले हल की बात बोल रहा है।
वीओ :- मानधाता छतरी में रोज सुबह शाम वन विभाग के अधिकारी पूजा कर रहे है ऐसे में विश्व हिन्दू परिषद् की मांग है की आम जन को पूजा करने दी जाये और आईजी कलेक्टर को हटाये जाये। विश्व हिन्दू परिषद् बूंदी के जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण श्रंगी का कहना है हमारी अभी तक मांगे पूरी नहीं हुई है 12 जनवरी हाड़ोती बंद के बाद 20 जनवरी बूंदी संगठन की कूच की पूरी तैयारी है।
बाईट :- लक्ष्मीनारायण श्रंगी , विश्व हिन्दू परिषद् बूंदी
विश्व हिंदू परिषद ने अगले कदम की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जिलास्तर पर धर्म रक्षा मंच के गठन की घोषणा की है। इस संबंध में विहिप की बैठक हुई, जिसमें अगली रणनीति पर चर्चा की गई। इसके तहत हाड़ौती भर से विहिप कार्यकर्ताओं के बूंदी कूच की कार्ययोजना पर चर्चा की गई। बूंदी कूच में विहिप के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदाधिकारियों को आमंत्रित किया जाएगा।
मानधाता की छतरी का इतिहास और विवाद की वजह
मानधाता कौन थे, उनका इतिहास क्या है, इस बारे में कोई प्रमाणिक इतिहास तो नहीं मिल सका है, पर इस बारे में अलग-अलग जनश्रुतियां है। एक जनश्रुति के मुताबिक बूंदी के जैतसागर से पूर्व में पहाड़ के शिखर पर रावराजा शत्रुशाल की धाय प्रथा ने अपने भतीजे मान धाबाई की याद में मानधाता छतरी का निर्माण संवत् 1702 (सन 1645) में करवाया था। यह छतरी बिजली गिरने से संवत् 1969(सन 1912) में गिर गई थी। मानधाता बूंदी किलेदार थे। जिस जगह छतरी बनी है, वहां से किसी युद्ध में शहीद हो गए थे। उनकी वीरता व उनकी स्मृति में यह छतरी बनवाई गई। बूंदी की यह परंपरा रही है कि जब भी किसी की याद में छतरी बनवाई जाती थी तो उसमें देव प्रतिष्ठापित किए जाते थे।
पुराने रिकॉर्ड में मानधाता छतरी और मानधाता पहाड़
भू-अभिलेख के 1943-44 के रिकॉर्ड के मुताबिक मानधाता छतरी के नाम से एक बिस्वा जमीन और जिस पहाड़ पर छतरी बनी है, उसका नाम मानधाता डूंगर दर्ज है, मानधाता डूंगर के नाम से तब 16 बीघा 12 बिस्वा जमीन थी। सेटलमेंट से पहले पहाड़ सिवायचक में था, पर सेटलमेंट के बाद मानधाता पहाड़ की पूरी जमीन जंगलात के नाम हो गई। वहीं पहले जहां रिकॉर्ड में मानधाता की छतरी के नाम से दर्ज थी, वर्तमान रिकॉर्ड में यह सिवायचक गैरमुमकिन छतरी के नाम से दर्ज है।
इसलिए बढ़ा विवाद
विवाद की शुरुआत तब हुई जब पिछले साल फॉरेस्ट विभाग को बजट मिला तो इसे व्यू पाइंट के रूप में विकसित करने के लिए इस छतरी का रिनोवेशन शुरू किया। वन विभाग के मुताबिक वहां छतरी के ही पिलर्स पड़े थे, एक पिलर में दास मुद्रा में हनुमानजी उकेरे हुए थे। इन्हें मूल स्वरूप में छतरी में लगाने का काम किया जा रहा था। यह बात शहर में आग की तरह फैली कि वहां मूर्ति स्थापित की जा रही है। समुदाय विशेष का कहना था कि वहां कहीं ओर से प्रतिमा लाकर गुपचुप स्थापित की जा रही है। इसका विरोध-प्रदर्शन, पत्थरबाजी और कुछ दुकानों में तोड़फोड़ हुई। तब मामले को शांत करने के लिए शांति समिति की बैठक हुई। इसमें छतरी व विवादित खंबे की पुरातत्व विभाग से जांच व रिपोर्ट आने तक यथास्थिति रखने, किसी को वहां नहीं जाने पर सहमति बनी। सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी भी स्थापित कर दी गई। पुरातत्व विभाग ने जांच भी की। आठ-नौ महीने से ना तो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, ना इस दिशा में कोई प्रगति हुई। इस दौरान पूजा समर्थक पहाड़ की तलहटी में जैतसागर के पास इकट्ठा होकर वार-त्योहार पर सामूहिक प्रार्थना-पूजा करते रहे। फिर मानधाता छतरी पर पूजा की इजाजत देने की मांग उठी। विवाद इतना बढ़ा कि हाड़ौती बंद की नौबत तक आ गई।
विधायक ने माँगा 1 माह का समय
बूंदी विधायक अशोक डोगरा ने संगठन से एक माह तक का समय मांगा है और कहा है की मानधाता छतरी की पूजा होगी और उसका रास्ता भी निकलेगा लेकिन मुझे इस काम के लिए एक माह तक का समय चाहिए। उन्होंने ने हिन्दू संगठनो से कहा है की रास्ता एंव निर्माण के लिए मेरे कोष से संगठन चाहे उतनी घोषणा करने को तैयारी हुई।
बाईट :- अशोक डोगरा ,विधायक ,बूंदी
जल्द निकलेगा बीच का रास्ता
बूंदी जिला कलेक्टर शिवांगी स्वर्णकार ने बूंदी जिले के लोगो से शांति बनाने की अपील की है और इस विवाद का जल्द उच्चधिकारियों से जारी मीटिंग के बाद बीच का रास्ता निकलने की बात कही है। अब देखना होगा की जिला कलेक्टर कब इस मामले का हल कर रास्ता निकाल मामले को शांत करवा पाती है।
बाईट :- शिवांगी स्वर्णकार , जिला कलेक्टर ,बूंदी
अभी क्या स्थिति
मीरा पहाड़ी के पास स्थिति टाइगर हिल की सुरक्षा मानो कर्फ्यू जैसी है बिना इजाजत किसी को प्रवेश वर्जित है ऐसे में उसी रास्ते से मीरा साहब दरगाह का रास्ता गुजरता है अब दरगाह जाने वाले लोगो को भी बिना प्रशासन की अनुमति के जाने नहीं दिया जा रहा।
पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का इन्तजार
विवाद से पहले राज्य एंव केंद्र की पुरातत्व विभाग की टीम ने मानधाता छतरी का जायजा लेकर यह पता लगाने की कोशिश की थी इस जगह क्या था और रिपोर्ट आने के साथ साथ तदनुसार कार्य करने शुरू करने की तैयारी की बात कही थी लेकिन अभी तक विभाग की रिपोर्ट नहीं आई है। प्रशासन भी रिपोर्ट का इन्तजार कर रहा है।
एंकर :- बूंदी मानधाता छतरी की पूजा होने के बाद भी विश्व हिन्दू परिषद् के पदाधिकारी अपनी 5 सूत्रीय मांगो को लेकर अड़े हुए है उन्होंने ने धर्म रक्षा दल का गठन किया है जिसमे प्रदेश के सभी विहिप नेताओं को जोड़ा है जो बूंदी में 20 जनवरी को कूच करने की तैयारी है। अगर फिर कार्यकर्त्ता पूजा करने के लिए आगे बड़े तो बूंदी में फिर तनाव उत्पन हो सकता है ऐसे में जिला प्रशासन इस मामले में बीच का रास्ता निकालने की तैयारी कर रहा है और 20 से पहले हल की बात बोल रहा है।
वीओ :- मानधाता छतरी में रोज सुबह शाम वन विभाग के अधिकारी पूजा कर रहे है ऐसे में विश्व हिन्दू परिषद् की मांग है की आम जन को पूजा करने दी जाये और आईजी कलेक्टर को हटाये जाये। विश्व हिन्दू परिषद् बूंदी के जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण श्रंगी का कहना है हमारी अभी तक मांगे पूरी नहीं हुई है 12 जनवरी हाड़ोती बंद के बाद 20 जनवरी बूंदी संगठन की कूच की पूरी तैयारी है।
बाईट :- लक्ष्मीनारायण श्रंगी , विश्व हिन्दू परिषद् बूंदी
विश्व हिंदू परिषद ने अगले कदम की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जिलास्तर पर धर्म रक्षा मंच के गठन की घोषणा की है। इस संबंध में विहिप की बैठक हुई, जिसमें अगली रणनीति पर चर्चा की गई। इसके तहत हाड़ौती भर से विहिप कार्यकर्ताओं के बूंदी कूच की कार्ययोजना पर चर्चा की गई। बूंदी कूच में विहिप के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदाधिकारियों को आमंत्रित किया जाएगा।
मानधाता की छतरी का इतिहास और विवाद की वजह
मानधाता कौन थे, उनका इतिहास क्या है, इस बारे में कोई प्रमाणिक इतिहास तो नहीं मिल सका है, पर इस बारे में अलग-अलग जनश्रुतियां है। एक जनश्रुति के मुताबिक बूंदी के जैतसागर से पूर्व में पहाड़ के शिखर पर रावराजा शत्रुशाल की धाय प्रथा ने अपने भतीजे मान धाबाई की याद में मानधाता छतरी का निर्माण संवत् 1702 (सन 1645) में करवाया था। यह छतरी बिजली गिरने से संवत् 1969(सन 1912) में गिर गई थी। मानधाता बूंदी किलेदार थे। जिस जगह छतरी बनी है, वहां से किसी युद्ध में शहीद हो गए थे। उनकी वीरता व उनकी स्मृति में यह छतरी बनवाई गई। बूंदी की यह परंपरा रही है कि जब भी किसी की याद में छतरी बनवाई जाती थी तो उसमें देव प्रतिष्ठापित किए जाते थे।
पुराने रिकॉर्ड में मानधाता छतरी और मानधाता पहाड़
भू-अभिलेख के 1943-44 के रिकॉर्ड के मुताबिक मानधाता छतरी के नाम से एक बिस्वा जमीन और जिस पहाड़ पर छतरी बनी है, उसका नाम मानधाता डूंगर दर्ज है, मानधाता डूंगर के नाम से तब 16 बीघा 12 बिस्वा जमीन थी। सेटलमेंट से पहले पहाड़ सिवायचक में था, पर सेटलमेंट के बाद मानधाता पहाड़ की पूरी जमीन जंगलात के नाम हो गई। वहीं पहले जहां रिकॉर्ड में मानधाता की छतरी के नाम से दर्ज थी, वर्तमान रिकॉर्ड में यह सिवायचक गैरमुमकिन छतरी के नाम से दर्ज है।
इसलिए बढ़ा विवाद
विवाद की शुरुआत तब हुई जब पिछले साल फॉरेस्ट विभाग को बजट मिला तो इसे व्यू पाइंट के रूप में विकसित करने के लिए इस छतरी का रिनोवेशन शुरू किया। वन विभाग के मुताबिक वहां छतरी के ही पिलर्स पड़े थे, एक पिलर में दास मुद्रा में हनुमानजी उकेरे हुए थे। इन्हें मूल स्वरूप में छतरी में लगाने का काम किया जा रहा था। यह बात शहर में आग की तरह फैली कि वहां मूर्ति स्थापित की जा रही है। समुदाय विशेष का कहना था कि वहां कहीं ओर से प्रतिमा लाकर गुपचुप स्थापित की जा रही है। इसका विरोध-प्रदर्शन, पत्थरबाजी और कुछ दुकानों में तोड़फोड़ हुई। तब मामले को शांत करने के लिए शांति समिति की बैठक हुई। इसमें छतरी व विवादित खंबे की पुरातत्व विभाग से जांच व रिपोर्ट आने तक यथास्थिति रखने, किसी को वहां नहीं जाने पर सहमति बनी। सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी भी स्थापित कर दी गई। पुरातत्व विभाग ने जांच भी की। आठ-नौ महीने से ना तो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, ना इस दिशा में कोई प्रगति हुई। इस दौरान पूजा समर्थक पहाड़ की तलहटी में जैतसागर के पास इकट्ठा होकर वार-त्योहार पर सामूहिक प्रार्थना-पूजा करते रहे। फिर मानधाता छतरी पर पूजा की इजाजत देने की मांग उठी। विवाद इतना बढ़ा कि हाड़ौती बंद की नौबत तक आ गई।
विधायक ने माँगा 1 माह का समय
बूंदी विधायक अशोक डोगरा ने संगठन से एक माह तक का समय मांगा है और कहा है की मानधाता छतरी की पूजा होगी और उसका रास्ता भी निकलेगा लेकिन मुझे इस काम के लिए एक माह तक का समय चाहिए। उन्होंने ने हिन्दू संगठनो से कहा है की रास्ता एंव निर्माण के लिए मेरे कोष से संगठन चाहे उतनी घोषणा करने को तैयारी हुई।
बाईट :- अशोक डोगरा ,विधायक ,बूंदी
जल्द निकलेगा बीच का रास्ता
बूंदी जिला कलेक्टर शिवांगी स्वर्णकार ने बूंदी जिले के लोगो से शांति बनाने की अपील की है और इस विवाद का जल्द उच्चधिकारियों से जारी मीटिंग के बाद बीच का रास्ता निकलने की बात कही है। अब देखना होगा की जिला कलेक्टर कब इस मामले का हल कर रास्ता निकाल मामले को शांत करवा पाती है।
बाईट :- शिवांगी स्वर्णकार , जिला कलेक्टर ,बूंदी
अभी क्या स्थिति
मीरा पहाड़ी के पास स्थिति टाइगर हिल की सुरक्षा मानो कर्फ्यू जैसी है बिना इजाजत किसी को प्रवेश वर्जित है ऐसे में उसी रास्ते से मीरा साहब दरगाह का रास्ता गुजरता है अब दरगाह जाने वाले लोगो को भी बिना प्रशासन की अनुमति के जाने नहीं दिया जा रहा।
पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का इन्तजार
विवाद से पहले राज्य एंव केंद्र की पुरातत्व विभाग की टीम ने मानधाता छतरी का जायजा लेकर यह पता लगाने की कोशिश की थी इस जगह क्या था और रिपोर्ट आने के साथ साथ तदनुसार कार्य करने शुरू करने की तैयारी की बात कही थी लेकिन अभी तक विभाग की रिपोर्ट नहीं आई है। प्रशासन भी रिपोर्ट का इन्तजार कर रहा है।
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